ज़िंदा रहना, और जी भर जी लेना,
वैसा ही है
जैसे छोटे कदमों से लांघना पहाड़,
जैसे उखड़ती साँसों से सूँघना दुनिया को
भरपूर
जैसे छूट पाना भूगोल की कसावट और
संस्कृति की जकड़न से।
जैसे लहू बनकर रक्तशिराओं में दौड़ते
इतिहास को
बाहर का रास्ता दिखा सकना
जी भर जी लेना
जैसे ख़ुद के भीतर झाँकना और दफ्न होने से
बच जाना
जैसे देख पाना धरती के उस पार।
जैसे गले तक धंसे दलदल से निकलने की
छटपटाहट
जैसे छुप सकना हज़ार जोड़ी आँखों की बेशर्म
निगरानी से
जैसे दो नन्हे हाथों का भिड़ना हज़ार दुखों
से
पी जाना समुन्दर भर तोहमतें
जैसे नमक के बोरे से निकाल लेना रीढ़ की
हड्डियाँ,
सही सलामत
जी भर जी लेना
जैसे पहाड़ को पीठ पर लादकर तने रहना
जैसे कांच का बचे रह पाना, बरसते पत्थरों के बीच,
और उन्हीं पत्थरों से बना लेना महल
उसी तरह जैसे
साध लेना मूर्खताओं को ढिठौने की
तरह
जैसे दीवार पर फैले दुनिया के नक़्शे को
देख कर आँखें मूँद लेना
अंगारों पर लेट कर सपने देखना
और, देखे हुए सपनों का सच हो जाना
जी भर जी लेना
जैसे भूसे के ढेर से सुई निकालना,
रेत पर खड़ा करना महल
जैसे भूखे रहकर चाँद में महबूब का अक्स
देखना
जैसे किसी अजनबी के प्रति प्यार से भर
उठना,
जैसे हथियारों का महकना फूलों जैसा
और हत्यारों को गले लगाना
जी भर जी लेना
जैसे बारिश की बूँदें गिन जाना,
धूप में सुखाना आँसू
जैसे पत्तों पर लिखना इतिहास
जैसे बादलों को रोक लेना,
हवाओं को पकड़ के रखना, और
रोशनी को क़ैद कर लेना डिबिया में।
जी भर जी लेना
जैसे काँटों पर सोना,
बेवजह रोना
हार कर खुश होना
जैसे दर्द को स्थगित रखना
और लहुलुहान हाथों से लिखना प्रेमगीत
जैसे कच्ची कविताओं को दुरुस्त करना और
पढ़ जाना एक पूरी क़िताब।
जी भर जी लेना बिलकुल वैसा ही है
जैसे हर तरफ बिखरी खुरदुरी चट्टानों पर
बेतरह घिस जाने की बजाय तराश लेना खुद को।
6 Comments
सर बहुत सुंदर रचना है
ReplyDeleteशुक्रिया....
Deleteबहुत खूब!
ReplyDeleteबहुतायत खूबसूरत लेखन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर 👏👏
ReplyDelete
ReplyDeleteजी भर जी लेना बिलकुल वैसा ही है
जैसे हर तरफ बिखरी खुरदुरी चट्टानों पर
बेतरह घिस जाने की बजाय तराश लेना खुद को।❤❤🥰