सुनो तुम ए !
सुनो नादान लड़की !
बिछड़ जाने के बरसों बाद भी तुम
ख़यालों मे, कहो कैसे चली आई !
तुम्हारी आदतें उफ !
कि इतनी बेतकल्लुफ़ !
तुम्हारी ये कटोरी जैसी आँखें
अभी भी, आज, बरसों बाद, अब भी
बड़ी हैरत से मुझको ताकती हैं
जहां तक मैं न पहुंचा, मेरे अंदर
वहाँ भी झाँकती हैं।
तुम्हें क्या याद है अब भी !
मुहब्बत का सलीका बारहा मुझको सिखाती थी
जो मुझसे हो नहीं पाता था और तुम हार जाती थी
तुम अब हारे हुये मुझपर हमेशा मुसकुराती हो
सिखाया था मुझे जो आज खुद ही भूल जाती हो !
सुनो तुम !
तुम्हें क्या याद है जब तुम अचानक
हवा से खुलते दरवाज़े के बाहर मिल गयी थी
मेरी पत्थर की-सी नाज़ुक हथेली
तुम्हारे रेशमी सीने से छूकर छिल गयी थी
वो देहरी पर रखे दीपक की मद्धिम काँपती लौ
तुम्हारी ख़ूबसूरत आहटों से खिल गयी थी।
मुझे मालूम है तुम हो, जहाँ भी,
यहाँ भी हो, वहाँ भी
तुम्हारी याद से तर हैं ये मौसम
सुबह भी, साँझ, बादल और हवा भी
मगर क्या बात है अब उलझनों सा
कोई अहसास दिल में पल रहा है
अधूरी ख़्वाहिशों का एक जंगल
हरे पत्तों की भीगी आग जैसा
बहुत धीमा सही पर जल रहा है।
मुझे मालूम है कुछ हो गया है
कहीं ऐसा है क्या ! वो पीला कंगन
तुम्हें इक ख़ास लम्हे में दिया था,
खो गया है !
सुनो तुम ग़म न करना, जी न भरना
बहुत चीज़ें मेरी भी खो गयी हैं
वो जिस कागज पे तुमने नाम लिक्खा था हमारा
सलामत है, मगर सतरें पुरानी हो गयी हैं
उसी कागज में रक्खे फूल अब मुरझा चुके हैं
पुरानी पड़ गयी हैं खुशबूएँ फूलों की
जो तुमने दिये थे
वो रंग फीके हैं, पत्ते जा चुके हैं।
चले जाते हैं जाने वाले एक दिन
मगर एहसास तो जाता नहीं है
मुझे तरतीब से रहना न आया
कोई अब वैसे समझाता नहीं है।
कभी जब साथ थे,
सोचा नहीं था फासला होगा
तुम अपने काम में मशरूफ़ होगी
और,
दराज़ों के किन्हीं कोनों में मेरा ख़त पड़ा होगा
वहाँ बदमाश लफ़्ज़ों की महक बिखरी हुई होगी
तुम्हारा ज़हन भी बेचैन सा, उलझा हुआ होगा।
यहाँ बरसों-बरस के बाद भी मैं
तुम्हारी याद की आहट की जानिब मुस्कुराकर
ज़रा नज़रें चुराकर सोचता हूँ
कभी यूँ ही अचानक मिल गए तो
सोचो क्या होगा !
5 Comments
तुम्हारी आदतें उफ्फ...
ReplyDeleteदराज़ों के किन्हीं कोनों में मेरा ख़त पड़ा होगा
ReplyDeleteवहाँ बदमाश लफ़्ज़ों की महक बिखरी हुई होगी
तुम्हारा ज़हन भी बेचैन सा, उलझा हुआ होगा।
वाह बहुत ही उम्दा और लाजवाब भैया!
एकदम गजब ❤👌
बहुत सुंदर कविता सर। बधाई
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteहोगा... होगा!
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