आज सुबह की धूप बहुत अच्छी है गुनगुना अहसास देने वाली मैंने सड़क पर खड़ी गाड़ियों की लम्बी कतारों से गुजरते हुए उनके शीशे में अपना चेहरा देखा बिखरे हुए बालों के साथ सुबह की गुनगुनी धूप में मैं बहुत सुन्दर दीखता हूँ मैंने एक रिक्शे वाले को सवारी उपलब्ध कराई एक आदमी को फोटोकापी की दुकान बताई चाय पीते हुए एक आदमी की सिगरेट जलाई एक लड़की को स्वस्थ रहने की सलाह दी अरसे से मेरे पास रखी लाइब्रेरी की दो किताबें लौटाई ताकि कोई उन्हें पढ़ सके बेहद खुबसूरत औ…
1- सुबह का सपना जिस वक्त मैं अपनी पूरी ताकत से भागता हुआ स्ट्रेचर के पास पहुँचा , पिता दुनिया से जा चुके थे. उनकी आँखे और मुँह खुले हुए थे. आखिरी वक्त में उन्होंने पेशाब कर दिया था जिससे उनपर डाली गयी चादर भीग गयी थी. मैं रोया नहीं , रोने की कोई वजह भी नहीं थी. लगातार तीन दिन और रात से उन्हें पल-पल मरते देख मेरे अंदर का एक कोना पहले ही मर चुका था. उलटे मुझे एक अजीब तरह का सुकून मिला , मैंने उनके चेहरे को छूते हुए , उनकी आँखों को बंद किया और अनायास ही मेरे अन्दर कोई बुदबुदाया “ ओह पिता ! अब तुम आज़ाद हो , तुम्हें तकलीफ से निजात मिल गय…
Writer, Assistant Professor, Hindi Department, Central University of Jharkhand, Ranchi
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