तूं मेरे जीने का सबब है



तूँ मेरे जीने का सबब है

बाकी सबकुछ बेमतलब है

 

तुझसे पहले,बाद में तेरे

ना कुछ तब था,ना कुछ अब है

 

तेरी दीद बिना सब सूना

कैसा नशा है,कैसी तलब है

 

सबके अपने-अपने ग़म हैं

पर मेरी तकलीफ़ अलग है

 

दिल के दाग़ दिखाऊं किसको

मेरा क़ातिल ही मेरा रब है

 

इश्क़ मजाज़ी,इश्क़ हकीकी

जो भी है ये खेल गज़ब है

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1 Comments

  1. बहुत खूब। छोटी बहर की खूबसूरत गज़ल...

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