मुहब्बत में कई बातें ज़रूरी हैं मगर
मुहब्बत
क्या है,
इससे
भी ज़रूरी, क्या नहीं है.
मुहब्बत
डर नहीं है,
ख़ुदा का घर नहीं है
मुहब्बत
फैज़ अहमद फैज़ है,
हिटलर
नहीं है
मुहब्बत
मस्त है लेकिन
महज़
बिस्तर नहीं है
कोई
सरहद नहीं है,
कोई
बंदिश नहीं है
मुहब्बत
कुछ भी हो जाए,
कोई
साज़िश नहीं है.
मुहब्बत
में कई बातें....
मुहब्बत
कोई दुश्वारी नहीं है
मुहब्बत
कोई बीमारी नहीं है
मुहब्बत
ख़ूबसूरत शय है जिसमें,
कहीं
भी कोई हुशियारी नहीं है
मुहब्बत
में नहीं है नाउमीदी,
मुहब्बत
नायक़ीनी भी नहीं है.
मुहब्बतमें
कई बातें....
मुहब्बत
जोड़ती है,
दिवारें तोड़ती है
मुहब्बत
होश है तो है नशा भी
मुहब्बत
दर्द है तो है दवा भी
मुहब्बत
है गिरह को खोल देना
मुहब्बत है
तो जाओ जा के उनको बोल देना
मुहब्बत
में कई बातें....
1 Comments
सुन्दर
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