हाथ में ख़ून लगा खंज़र है



हाथ में ख़ून लगा खंज़र है

कह तो रहा है चारागर है !

 

चाँद सितारे बाँट रहा है

पाँव के नीचे मुरदाघर है

 

क्या तक़रीर है माशाअल्लाह

अद्भुत ताल है अद्भुत स्वर है

 

नए चलन का बैरागी है

महल में रहता है बेघर है

 

एक कहानी फिर से गढ़ ली

पिछली भी पुरज़ोर असर है

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