मेरे सवाल मुकम्मल जवाब मांगेंगे
ये तुझसे मेरी वफ़ा का हिसाब मांगेंगे
वो दौर बीत गया जब कि माँगते थे किताब
हमारे बच्चे अब हमसे शराब मांगेंगे
ये क्या हुआ भभक के बुझ गए दिए की तरह
इसी उम्मीद पे कल आफताब मांगेंगे ?
करेंगे चर्चा कुपोषण की ताज़ होटल में
मीटिंग से उठ के फिर शाही क़बाब मांगेंगे
Writer, Assistant Professor, Hindi Department, Central University of Jharkhand, Ranchi
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