रामधनी



        जीवन क्षणभंगुर है बुढ़िया से बतियाते रामधनी

        बीच ओसारे पाँव पसारे खैनी खाते रामधनी


        ऊँगली पर सब जनम-करम के जोड़-घटाते रामधनी

        ब्याह कराते, कब्र खोदते, तेरही खाते रामधनी

 

        पोखरी खेत पतोह अबादी सुलह कराते रामधनी

        बछरू पगहा तोड़ के भागा रेस लगाते रामधनी

 

        बाकी सबै कुसल-मंगल है पान घुलाते रामधनी

        धनतेरस पे फरसा कीन के हाट से आते रामधनी

 

        अबकी बार फसिल अच्छी है जश्न मनाते रामधनी

        छुट्टा गोरु-गाय बकस दें डीह पुजाते रामधनी

 

        बेसी निमक कड़ी रोटी खेमटाव चबाते रामधनी

        गाली देने का मन करता मुंह खजुआते रामधनी

 

        आज़ादी गणतंत्र दिवस बोलो क्यों आते रामधनी

        गुडुआ समझाता और सुनते लड्डू खाते रामधनी

 

        दुनिया की रफ़्तार देख के अचरज खाते रामधनी

        पहले पर्ची भरते थे अब बटन दबाते रामधनी

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