मेरी मासूमियत के हौसले हैं
ये दुश्वारी
मुझे रोकेगी कितना
है ज़िद चलने
की फिर क्या आबले हैं
बहुत कुछ मेरी झोली में है देखो
इरादे हैं, सफ़र है, मंजिले हैं
चलो चलकर नयी दुनिया बसायें
तसव्वुर, कारवाँ है, काफिले हैं
फलक पसरा है पेशानी के ऊपर
ज़मीं भी अपने पावों के तले है
वहाँ घर मत बनाओ, मान जाओ
परिंदों के वहाँ पर घोंसले हैं
सियासतदाँ के वादे, माशाल्लाह
हज़ारों हैं, मगर सब खोखले हैं
पहाड़ों की तरह दिखते हैं जो भी
ज़रा सा छू के देखो, पिलपिले हैं
मैं जिनसे थरथराता था वे सारे
फखत पानी के छोटे बुलबुले हैं
हमारी कब्र के ऊपर मुसलसल
तुम्हारे मह्ल, गुम्बद, और किले हैं
हैं जब ख़ामोश, तो ताज़ा हवा हैं
मगर नाराज़ हैं तो जलजले हैं
मैं हूँ मैं, तुम हो तुम और वो तो वो है
लिहाज़ा इतने सारे फासले है
वो जो मुझ पर हुकूमत कर रहे हैं
मेरी नाकामियों के सिलसिले हैं
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