ये जो सहराओं में भी गुल खिले हैं

ये जो सहराओं में भी गुल खिले हैं
मेरी मासूमियत के हौसले हैं

ये दुश्वारी मुझे रोकेगी कितना
है ज़िद चलने की फिर क्या आबले हैं

बहुत कुछ मेरी झोली में है देखो
इरादे हैंसफ़र हैमंजिले हैं

चलो चलकर नयी दुनिया बसायें
तसव्वुरकारवाँ हैकाफिले हैं

फलक पसरा है पेशानी के ऊपर
ज़मीं भी अपने पावों के तले है

वहाँ घर मत बनाओमान जाओ
परिंदों के वहाँ पर घोंसले हैं 

सियासतदाँ के वादेमाशाल्लाह
हज़ारों हैंमगर सब खोखले हैं 

पहाड़ों की तरह दिखते हैं जो भी
ज़रा सा छू के देखोपिलपिले हैं

मैं जिनसे थरथराता था वे सारे
फखत पानी के छोटे बुलबुले हैं

हमारी कब्र के ऊपर मुसलसल
तुम्हारे मह्लगुम्बदऔर किले हैं

हैं जब ख़ामोशतो ताज़ा हवा हैं
मगर नाराज़ हैं तो जलजले हैं

मैं हूँ मैंतुम हो तुम और वो तो वो है
लिहाज़ा इतने सारे फासले है

वो जो मुझ पर हुकूमत कर रहे हैं
मेरी नाकामियों के सिलसिले हैं

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