जो मेरे दिल में था अबतक अधूरी दास्ताँ बनकर


    जो मेरे दिल में था अबतक अधूरी दास्ताँ बनकर

    अचानक छा गया मुझपर वो सारा आसमाँ बनकर

 

    ये कल की बात है परहेज़ था मुझको मोहब्बत से

    मगर अब तो वही बहती है नस-नस में नशा बनकर

 

    पिघलकर चाँद-तारे आ गए मेरी निगाहों में

    वो आये और अँधेरा उड़ गया जैसे धुआँ बनकर

 

    हम उसके नाम से रुसवा हुए तो नामवर भी हैं

    वो हर एक दर्द के मौसम में आया है दवा बनकर

 

    भटक जाऊं तो दिखलाना मुझे रस्ता हकीकत का

    हमारे साथ तुम रहना हमेशा आईना बनकर

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1 Comments

  1. शानदर जबरजस्त जिन्दाबाद..एकदम ज़बर भईया 👌❤😘

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