पेड़ों ने नए इल्म गढ़े पंछियों के बीच


पेड़ों ने नए इल्म गढ़े पंछियों के बीच
बस्ती बहेलियों की बसी घोसलों के बीच

 

उनवान था सहराओं में भी फूल खिलेंगे
शोले बरस रहे हैं यहां बारिशों के बीच

 

मुंसिफ ने हँसके रोटी के मसले पे कहाचल
चल चाँद दिखाते हैं तुझे बादलों के बीच

 

उसने उठाये हाथ सवाली मिजाज़ से
शरमा के खुद ही खींच लिए तालियों के बीच

 

रमुआ ने हाथ जोड़ लिए क़ातिलों के बीच
मैं क्या करूँगा जाके वकीलोंजजों के बीच

 

मैं साँस ले रहा हूँ ग़ज़ब दहशतों के बीच
सिसकी फँसी पड़ी हो जैसे कहकहों के बीच

 

खुद को समेट लें तो चलें और कहीं पर
कुछ और धरतियाँ भी होंगी धरतियों के बीच

 

अहमक़ था मैंसस्ती सी क़लम ले के आ गया
ऊँचेअदीबनामचीन शायरों के बीच

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