एक सुन्दर अफ़साना माँ
चिड़िया, बादल, तितली, बारिश
एक सुन्दर अफ़साना माँ
नींद में बिस्तर, प्यास में पानी,
भूख में दाना-दाना माँ
सपनों की बुनियाद के तले,
घर में गड़ा खज़ाना माँ
खिड़की, आँगन, छत, दीवारें,
छप्पर, ताना-बाना
माँ
मैं जब नन्हा था तो कैसा
दिखता था, क्या
करता था
चलनी, सूप
किनारे रख
आ बैठ ज़रा बतिया ना माँ
कान पकड़ स्कूल ले गयी
सर्दी, बारिश
या गर्मी
तुम क्यों इतनी निष्ठुर थी तब
अब मैंने ये जाना माँ
बाबूजी की चिट्ठी पढ़कर
तुम इतना क्यूँ रोती थी
तब तो बिलकुल बच्चा था मैं
अब तो कुछ बतला ना माँ
मेले में खो गया था मैं तो
तुम कितना घबराई थी
आ मैं तेरा हाथ पकड़ लूँ,
बिलकुल मत घबराना माँ
2 Comments
sapno k kone me chhupti hai,yado k galiyare me dikhati
ReplyDeletetumhe chhor k ab mujhe aur kahi nhi jana maa
sapno k kone me chhupti hai,yado k galiyare me dikhati
ReplyDeletetumhe chhor k ab mujhe aur kahi nhi jana maa