एक सुन्दर अफ़साना माँ चिड़िया , बादल , तितली , बारिश एक सुन्दर अफ़साना माँ नींद में बिस्तर , प्यास में पानी , भूख में दाना-दाना माँ सपनों की बुनियाद के तले , घर में गड़ा खज़ाना माँ खिड़की , आँगन , छत , दीवारें , छप्पर , ताना-बाना माँ मैं जब नन्हा था तो कैसा दिखता था , क्या करता था चलनी , सूप किनारे रख आ बैठ ज़रा बतिया ना माँ कान पकड़ स्कूल ले गयी सर्दी , बारिश या गर्मी तुम क्यों इतनी निष्ठुर थी तब अब मैंने ये जाना माँ बाबूजी की चिट्ठी पढ़कर तुम इतना …
आज लिक्खूं या चाहे कल लिख दूँ सोचता हूँ कि मुसलसल लिख दूँ रात भर जागता रहा हूँ मैं क्यूँ न ऐसा करूँ ग़ज़ल लिख दूँ उदास बैठा है इक खानाबदोश उसके सपनों में एक महल लिख दूँ यूँ करूँ जिंदगी के पन्नों पर हर कठिन की जगह सरल लिख दूँ ठूँठ पेड़ों को हरा फल लिख दूँ उड़ रही रेत को दलदल लिख दूँ झील में खून के निशान मिले हुक्म आया है मैं कमल लिख दूँ क्यों न इन रहबरों की बस्ती को लखनऊ , दिल्ली को जंगल लिख दूँ इमारतों को करके ने…
Writer, Assistant Professor, Hindi Department, Central University of Jharkhand, Ranchi
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